एक तेरे दीद की चाहत है बांसुरी वाले, तर्ज :- हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफिर के तरह, Ek tere deed ki chahat hai basuri wale, Tarz : Ham tere shahar me
एक तेरे दीद की चाहत है बांसुरी वाले, तर्ज :- हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफिर के तरह, Ek tere deed ki chahat hai basuri wale, Tarz : Ham tere shahar me aaye hai mushafir ki tarah
( मेरा गोपाल गिरधारी जमाने से निराला है,सांवरा है, रसीला है, न गोरा है ना काला है,
कभी सपनों में आ जाता, कभी रूहपोश हो जाता,
ये मनमोहन ने छलने का, निराला ढंग निकाला है,
वृंदावन के कण कण का मरम न जाने कोए,
जहां डाल डाल और पात पात में राधे राधे होए।। )
एक तेरे दीद की चाहत है बांसुरी वाले,
बेकरारों को तू, करार का मौका दे दे,
एक तेरे दीद की चाहत है.....
फूलों के हार की कुछ लाज तो रख ले कान्हा,
लाए उपहार का तू स्वाद तो चख ले कान्हा,
उभरते प्रेम को, इज़हार का मौका दे दे,
एक तेरे दीद की चाहत है......
ख्वाब लाखों के हैं दिलों में, खयाल दीद का है,
सवालियों के दिलों में भी, सवाल दीद का है,
अपने दर्शन, अपने सत्कार, का मौका दे दे,
एक तेरे दीद की चाहत है.....
चर्चा लाखों से सुनी है तेरे को उपकारों की,
भीख दे दर की हमें भी अपने दीदारो की,
राजू को भी जरा, दीदार का मौका दे दे,
एक तेरे दीद की चाहत है......
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