Anokhi shadi, dulhe ki mang bharti hai dulhan, janiye iski vajahen, यहां होती हैं अनोखी शादियां, दुल्हन भरती है दूल्हे की मांग; बेहद रोचक है इसकी वजह
यहां होती हैं अनोखी शादियां, दुल्हन भरती है दूल्हे की मांग; बेहद रोचक है इसकी वजह :
आपने शादियों में देखा होगा कि दूल्हा अपनी दुल्हन की मांग में सिंदूर भरता है. लेकिन देश में एक जगह ऐसी है जहां दुल्हन भी अपने होने वाले पति की मांग में सिंदूर भरती है. आइए आपको इस अनोखी प्रथा के बारे में बताते हैं.
यहां होती हैं अनोखी शादियां, दुल्हन भरती है दूल्हे की मांग; बेहद रोचक है इसकी वजह :
"दुल्हन भरती है दूल्हे की मांग आदिवासी इलाके में प्रचलित है रस्म लोगों का मानना कि ये है बराबरी की रस्म "
भारत विविधिताओं से भरा देश है. यहां अलग-अलग तरह की प्रथाएं हैं. इन प्रथाओं में से कुछ बेहद अजीबोगरीब है. आज हम आपको ऐसी ही एक अजीबोगरीब प्रथा के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे. आपने शादियों में देखा होगा कि दूल्हा अपनी दुल्हन की मांग में सिंदूर भरता है. लेकिन देश में एक जगह ऐसी है जहां दुल्हन भी अपने होने वाले पति की मांग में सिंदूर भरती है.
छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाके में प्रचलित है रस्म :
जानकारी के अनुसार, ये प्रथा देश के मध्य भाग में स्थित छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाके में प्रचलित है. छत्तीसगढ़ के जशपुर में दुल्हनें अपने दूल्हे की मांग भरती हैं. जब ये प्रथा निभाई जाती है, तो कुछ नियम कायदों का ध्यान रखना पड़ता है. स्थानीय लोगों की माने तो यहां विवाह के मंडप में दुल्हन का भाई अपनी बहन की अंगुली पकड़ता है और दुल्हन अपने भाई के सहारे बिना देखे पीछे हाथ करके दूल्हे की मांग भग देती है.
एक साथ सिंदूर खरीदते हैं दोनों परिवार :
देश के अन्य हिस्सों की तरह यहां भी शादी के लिए मंडप सजाया जाता है और दूल्हा-दुल्हन सज धज कर विवाह के मंडप में बैठते हैं. ठीक इसी तरह से बारातियों और घरातियों की भीड़ भी जुटती हैं. लेकिन, सात जन्मों के सूत्र में बंधन से पहले यहां एक ऐसी प्रथा है जो इस जनजाति की शादी को दूसरी शादी से सबसे अलग बनाती है. यहां शादी कराने वाले पुरोहितों का कहना है कि शादी से पहले वर-वधू पक्ष साथ में बाजार जाते हैं और एक साथ सिंदूर खरीदते हैं. शादी के दिन दूल्हा-दुल्हन उसी सिंदुर से एक-दूसरे की मांग भरते है.
बराबरी का अहसास कराती है रस्म :
स्थानीय लोगों का मानना है कि इस तरह के सिंदूर दान से वैवाहिक रिश्तों में बराबरी का अहसास होता है. शादी के दिन दूल्हे को दूल्हन के घर के पास किसी बगीचे में रखा जाता है उसके बाद दुल्हन के रिश्तेदार दूल्हे को कंधे पर बैठाकर विवाह के मंडप में ले जाते हैं. इसके बाद दुल्हन का भाई अपनी बहन की उंगली पकड़कर दूल्हे की मांग में सिंदूर भरवाता है. अगर दुल्हन का कोई भाई नहीं है तो इस स्थिति में दुल्हन की बहन भी इस रस्म को पूरा कराती है. दोनों दुल्हा-दुल्हन एक-दूसरे को तीन-तीन भार मांग में सिंदूर भरते हैं.
चादर के घेरे के अंदर निभाई जाती है रस्म :
इस रस्म को सिंदूर दान की रस्म कहते हैं. आपको बता दें कि सिंदूर दान की ये अनोखी रस्म चादर के घेरे में निभाई जाती है, जिसे हर कोई नहीं देख पाता है. रस्म निभाते समय केवल दूल्हा-दुल्हन, उनके परिवार, पुरोहित और गांव के बडे़ बुजुर्ग ही मौजूद रहते हैं.
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