पंचतंत्र की अनोखी और मजेदार कहानीयां हिंदी में || Unique and funny stories of Panchatantra in Hindi || Story Panchtantra ki kahani By Vishnusharman

पंचतंत्र की अनोखी और मजेदार कहानीयां हिंदी में || Unique and funny stories of Panchatantra in Hindi || Story Panchtantra ki kahani By Vishnusharman

पंचतंत्र  की अनोखी और मजेदार कहानीयां हिंदी में || Unique and funny stories of Panchatantra in Hindi || Story Panchtantra ki kahani By Vishnusharman

पंचतंत्र भारतीय पशु दंतकथाओं का एक संग्रह है जो 2,000 वर्ष से भी अधिक पुराना है। यह दुनिया में साहित्य की सबसे पुरानी और सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली कृतियों में से एक है, और इसका 100 से अधिक भाषाओं में अनुवाद किया गया है।

पंचतंत्र की कहानियाँ विष्णुशर्मन नाम के एक बुद्धिमान बूढ़े व्यक्ति द्वारा राजकुमारों के एक समूह को सुनाई जाती हैं जिन्हें उसके द्वारा शिक्षित किया जा रहा है। कहानियाँ राजकुमारों को जीवन के बारे में महत्वपूर्ण सबक सिखाने के लिए डिज़ाइन की गई हैं, जैसे बुद्धिमान कैसे बनें, कठिन लोगों से कैसे निपटें और सफलता कैसे प्राप्त करें।

पंचतंत्र को पाँच पुस्तकों में विभाजित किया गया है, जिनमें से प्रत्येक में कहानियों का संग्रह है। पहली पुस्तक, जिसका नाम "मित्र-भेदन" है, मित्रता के महत्व के बारे में है। दूसरी पुस्तक, जिसका नाम "अरि-निवृत्ति" है, दुश्मनों से कैसे निपटा जाए, इसके बारे में है। तीसरी पुस्तक, जिसे "विक्रम-चरित" कहा जाता है, सफलता कैसे प्राप्त करें, इसके बारे में है। चौथी पुस्तक, जिसे "लब्धाप्रणासम" कहा जाता है, नुकसान से निपटने के तरीके के बारे में है। और पाँचवीं पुस्तक, जिसका नाम "इंद्रिय-अपस्मारा" है, अपनी इंद्रियों को नियंत्रित करने के तरीके के बारे में है।

पंचतंत्र की कहानियाँ हास्य, ज्ञान और व्यावहारिक सलाह से भरपूर हैं। सदियों से सभी उम्र के लोगों द्वारा इनका आनंद लिया जाता रहा है और वे आज भी प्रासंगिक और मनोरंजक बने हुए हैं।

पंचतंत्र की सबसे प्रसिद्ध कहानियों में से एक "शेर और चूहे" की कहानी है। इस कहानी में, एक शेर एक पेड़ के नीचे आराम कर रहा है तभी एक चूहा उसकी पूँछ पर दौड़ता है। शेर चूहे को खाने ही वाला होता है कि चूहा दया की भीख मांगता है। चूहा शेर से कहता है कि वह एक दिन शेर से बदला चुकाएगा। शेर हंसता है और चूहे को जाने देता है।

बाद में शेर एक शिकारी के जाल में फंस जाता है। चूहा शेर की दहाड़ सुनता है और मदद के लिए आता है। चूहा जाल चबाता है और शेर को मुक्त कर देता है। शेर अपनी जान बचाने के लिए चूहे का आभारी है, और वह दयालुता के महत्व के बारे में एक मूल्यवान सबक सीखता है।

पंचतंत्र कहानियों का एक मूल्यवान संग्रह है जो हमें जीवन के बारे में महत्वपूर्ण सबक सिखा सकता है। कहानियाँ हास्य, ज्ञान और व्यावहारिक सलाह से भरपूर हैं। वे भारतीय संस्कृति और इतिहास के बारे में जानने का एक शानदार तरीका हैं, और वे सभी उम्र के लोगों के लिए मनोरंजन का एक बड़ा स्रोत हैं।

यहां कुछ सबसे महत्वपूर्ण सबक दिए गए हैं जो हम पंचतंत्र से सीख सकते हैं:

1. दोस्ती का महत्व : मित्र सहायता, सलाह और सहयोग प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। वे कठिन समय में हमारी मदद कर सकते हैं और हमारे जीवन को और अधिक सुखद बना सकते हैं।

2. बुद्धिमान होने का महत्व: बुद्धि अच्छे निर्णय लेने और हमारे आसपास की दुनिया को समझने की क्षमता है। बुद्धि हमें गलतियों से बचने और सफलता प्राप्त करने में मदद कर सकती है।

3. दयालु होने का महत्व : बदले में कुछ भी अपेक्षा किए बिना दूसरों की भलाई करना दयालुता है। दयालुता दुनिया को और अधिक खूबसूरत जगह बना सकती है और यह हमें खुश कर सकती है।

4. धैर्य रखने का महत्व :  धैर्य किसी चीज़ के लिए परेशान या अधीर हुए बिना प्रतीक्षा करने की क्षमता है। धैर्य हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद कर सकता है और यह हमें कठिन परिस्थितियों से निपटने में मदद कर सकता है।

5. विनम्र होने का महत्व : विनम्रता विनम्र और सम्मानजनक होने की अवस्था है। विनम्रता हमें अभिमान और अहंकार से बचने में मदद कर सकती है, और यह हमें दूसरों से सीखने में मदद कर सकती है।

पंचतंत्र कहानियों का एक मूल्यवान संग्रह है जो हमें जीवन के बारे में महत्वपूर्ण सबक सिखा सकता है। कहानियाँ हास्य, ज्ञान और व्यावहारिक सलाह से भरपूर हैं। वे भारतीय संस्कृति और इतिहास के बारे में जानने का एक शानदार तरीका हैं, और वे सभी उम्र के लोगों के लिए मनोरंजन का एक बड़ा स्रोत हैं।

पंचतंत्र  की अनोखी और मजेदार कहानीयां हिंदी में || Unique and funny stories of Panchatantra in Hindi || Story Panchtantra ki kahani By Vishnusharman

पंचतंत्र की कहानी [Story Panchtantra ki kahani By Vishnusharman] :

1.  गाय और शेर (The Lion And The Cow Story In Hindi ) 
Panchtantra ki kahaniyan :

एक पहाड़ी के नीचे रामगढ़ नाम का एक गांव था। गांव के सारे जानवर हरी घास खाने के लिए सुबह उसी पहाड़ी के ऊपर बसे जंगल में जाते और शाम होते-होते घर वापस आ जाते थे। हर दिन की तरह लक्ष्मी नाम की एक गाय अन्य गायों के साथ उसी पहाड़ी के जंगल में घास खाने के लिए गई थी। वह हरी घास खाने में इतनी ज़्यादा प्रसन्न थी कि वह कब एक शेर की गुफ़ा के पास पहुंच गई, उसे पता भी नहीं चला।

शेर अपनी गुफ़ा में सो रहा था और वह पिछले दो दिनों से भूखा भी था। जैसे ही लक्ष्मी शेर की गुफ़ा के पास पहुँची, गाय की खुशबू से शेर की नींद खुुल गयी। वह शेर धीरे-धीरे गुफ़ा से बाहर आया और गुफ़ा के बाहर गाय देखकर खुश हो गया। शेर ने मन ही मन सोचा कि

आज उसकी दो दिनों की भूख मिट जाएगी। वह इस तंदुरुस्त गाय का ताज़ा मांस खाएगा और यह सोचकर उसने एक तेज़ दहाड़ लगायी।

लक्ष्मी शेर की दहाड़ सुनकर डर जाती है। जब वह अपने आस-पास देखती है, तो वहां दूर-दूर तक उसको कोई भी दूसरी गायें नहीं दिखीं।

जब वह हिम्मत करके पीछे मुड़ी, तो उसे सामने शेर खड़ा हुआ दिखाई दिया। उस शेर ने लक्ष्मी को देखकर फिर से दहाड़ लगायी है और लक्ष्मी से कहा, “मुझे दो दिनों से कोई शिकार नहीं मिल रहा था, मैं भूखा था। शायद इसलिए भगवान ने मेरा पेट भरने के लिए तुझे मेरे यहां पर भेजा है। आज मैं तुझे खाकर अपनी भूख मिटा लूंगा।

शेर की बात सुनकर लक्ष्मी डर जाती है। वह रोते हुए शेर से कहती है “मुझे जाने दो, मुझे मत खाओ। मेरा एक छोटा बच्चा है, जो अभी सिर्फ मेरा ही दूध पीता है और उसे घास खाना अभी तक नहीं आया है।”

लक्ष्मी की बात सुनकर शेर हंसते हुए कहता है, “तो क्या मैं अपने हाथ में आए शिकार को ऐसे ही जाने दूं? मैं तो आज तुझे खाकर अपनी दो दिनों की भूख मिटाऊंगा।”

शेर के ऐसा कहने पर लक्ष्मी उसके सामने रोने लगी और विनती करते हुए कहती है कि “आज मुझे जाने दो। मैं आज अपने बछड़े को आखिरी बार दूध पिला दूंगी और उसे बहुत सारा प्यारा करके, कल सुबह होते ही तुम्हारे पास आ जाऊंगी। फिर तुम मुझे खा लेना और अपना भूखा पेट भर लेना।”

शेर लक्ष्मी की यह बात मान जाता है और धमकी देते हुए कहता है कि, “अगर कल तू नहीं आई, तो मैं तेरे गांव आऊंगा, फिर तुझे और तेरे बेटे दोनों को खा जाऊंगा।”

लक्ष्मी शेर की यह बात सुनकर खुश हो जाती है और शेर को अपना वचन देकर गांव वापस चली जाती है। वहां से वह सीधे अपने बछड़े के पास जाती है। उसे दूध पिलाती है और बहुत सारा प्यार करती है। फिर बछड़े को शेर के साथ हुई सारी घटना बताती है और कहती है कि उसे

अब अपना ख़्याल ख़ुद ही रखना होगा। वह कल सुबह होते ही अपना वचन पूरा करने के लिए शेर के पास चली जाएगी।

अपनी मां की बातें सुनकर बछड़ा रोने लगता है। दूसरे दिन सुबह होते ही लक्ष्मी जंगल की तरफ निकल जाती है और शेर की गुफ़ा के सामने पहुंचकर शेर से कहती है, “अपने वचन के अनुसार मैं तुम्हारे पास आ गई हूँ। अब तुम मुझे खा सकते हो।”

गाय की आवाज़ सुनकर शेर अपनी गुफ़ा से बाहर निकलकर आता है और भगवान के अवतार में प्रकट होते हैं। वह लक्ष्मी से कहते हैं, “मैं तो बस तुम्हारी परीक्षा ले रहा था। तुम अपने वचन की पक्की हो। मैं इससे बहुत प्रसन्न हुआ। तुम अब अपने घर और बछड़े के पास वापस जा सकती हो।”

इसके बाद वे उस गाय को गौ माता होने का वरदान भी देते हैं और उसी दिन के बाद से सभी गायों को गौ माता कहना शुरू कर देते हैं।

कहानी से सीख

हमें जान की बाज़ी लगाते हुए भी अपने दिए हुए वचन को पूरा करना चाहिए। यही हमारे दृढ़ व्यक्तित्व को दर्शाता है

2. भूखी चिड़िया (Hungry Bird Story in hindi ) Panchtantra ki kahaniyan :

सालों पहले एक घंटाघर में टींकू चिड़िया अपने माता-पिता और 5 भाइयों के साथ रहती थी। टींकू चिड़िया छोटी सी थी। उसके पंख मुलायम थे। उसकी मां ने उसे घंटाघर की ताल पर चहकना सिखाया था। घंटाघर के पास ही एक घर था, जिसमें पक्षियों से प्यार करने वाली एक महिला रहती थी। वह टींकू चिड़िया और उसके परिवार के लिए रोज रोटी का टुकड़ा डालती थी।

एक दिन वह बीमार पड़ गई और उसकी मौत हो गई। टींकू चिड़िया और उसका पूरा परिवार उस औरत के खाने पर निर्भर था। अब उनके पास खाने के लिए कुछ नहीं था और न ही वो अपने लिए खान जुटाने के लिए कुछ करते हैं।

एक दिन भूख से बेहाल होने पर टींकू चिड़िया के पिता ने कीड़ों का शिकार करने का फैसला किया। काफी मेहनत करने के बाद उन्हें 3 कीड़े मिले, जो परिवार के लिए काफी नहीं थे। वे 8 लोग थे, इसलिए उन्होंने टींकू और उसके 2 छोटे भाइयों को खिलाने के लिए कीड़े साइड में रख दिए।

इधर, खाने की तलाश में भटक रही टींकू, उसके भाई और उसकी मां ने एक घर की खिड़की में चोंच मारी, ताकि कुछ मिल जाए, लेकिन कुछ नहीं मिला। उल्टा घर के मालिक ने उनपर राख फेंक दी, जिससे तीनों भूरे रंग के हो गए। उधर, काफी तलाश करने के बाद टींकू के पिता को एक ऐसी जगह मिली, जहां काफी संख्या में कीड़े थे। उनके कई दिनों के खाने का इंतजाम हो चुका था। वह जब खुशी-खुशी घर पहुंचा, तो वहां कोई नहीं मिला। वह परेशान हो गया।

तभी टींकू चिड़िया, उसका भाई और मां वापस लौटे, तो पिता उन्हें पहचान नहीं पाए और गुस्से में उन्होंने सबको भगा दिया। टींकू ने पिता को समझाने की काफी कोशिश की। उसने बार-बार बताया कि किसी ने उनके ऊपर रंग फेंका है, लेकिन टींकू के हाथ असफलता ही लगी।

उसकी मां और भाई भी निराश हो गए, लेकिन टींकू ने हार नहीं मानी। वह उन्हें लेकर तालाब के पास गई और नहलाकर सबकी राख हटा दी। तीनों अब अपने पुराने रूप में आ गए। अब टींकू के पिता ने भी उन्हें पहचान लिया और माफी मांगी।

अब सब मिलकर खुशी-खुशी एक साथ रहने लगे। उनके पास खाने की भी कमी नहीं थी।

कहानी से सीख : 

कभी भी किसी पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहना चाहिए। इंसान को खुद मेहनत करके अपनी जरूरत की चीजों को जुटाना चाहिए।

3. बिल्ली के गले में घंटी पंचतंत्र की कहानी ( Billi Ke Gale Mein Ghanti)  Panchtantra ki kahaniyan :

एक बहुत बड़े घर में सैकड़ों चूहे रहते थे। वो अपना पेट भरने के लिए पूरे घर में टहलते थे। सभी चूहे हंसी-खुशी अपना पेट भर लिया करते थे। उनकी जिंदगी बड़े आराम से कट रही थी। अचानक एक दिन उस घर में शिकार करने के लिए, कहीं से एक बिल्ली आ गई।

एक बहुत बड़े घर में सैकड़ों चूहे रहते थे। वो अपना पेट भरने के लिए पूरे घर में टहलते थे। सभी चूहे हंसी-खुशी अपना पेट भर लिया करते थे। उनकी जिंदगी बड़े आराम से कट रही थी। अचानक एक दिन उस घर में शिकार करने के लिए, कहीं से एक बिल्ली आ गई।

बिल्ली को देखते ही सारे चूहे तेजी से अपने-अपने बिल में छिप गए। उसने देखा कि उस घर में तो बहुत सारे चूहे हैं। उसने यहीं रहने का मन बना लिया। अब बिल्ली उसी घर में रहने लगी। जब भी उसे भूख लगती, तो बिल्ली अंधेरे में जाकर छिप जाती थी। जब चूहे बाहर निकलते, तो बिल्ली उन पर झपटा मारकर खा जाती थी।

ऐसा रोज होने लगा। धीरे-धीरे चूहों की संख्या कम होने लगी थी। अब चूहों में दहशत फैल गई थी।

इस समस्या का हल निकालने के लिए चूहों ने एक सभा बुलाई। सभा में सभी चूहे मौजूद थे। सभी ने कई सुझाव दिए, ताकि बिल्ली के आतंक को रोका जा सके और उसका शिकार बनने से चूहे बचे रहें। किसी का सुझाव ऐसा नहीं था, जिससे बिल्ली का आंतक रोका जा सके। सभी चूहे बैठे ही थे कि अचानक से एक बूढ़े चूहे ने सुझाव दिया।

उसने कहा कि हम बिल्ली से बच सकते हैं, लेकिन उसके लिए एक घंटी और धागे की जरूरत पड़ेगी। बूढ़े चूहे ने कहा कि हम बिल्ली के गले में घंटी बांध देंगे और जब वह आएगी, तो घंटी बजने से हमें खतरे के बारे में पता चल जाएगा। खतरा जानने के बाद हम लोग भाग कर अपनी बिल में छिप जाएंगे।

इससे हम लोग बिल्ली का शिकार बनने से बचे रह सकते हैं। सभी चूहे खुशी से झूमने लगे। सबने नाचना शुरू कर दिया और खुश होने लगे कि अब तो वह बिल्ली के खतरे से बचे रहेंगे। सभी चूहे खुशियां मना ही रहे थे कि अचानक से एक अनुभवी चूहा उठ खड़ा हुआ।

उसने सभी चूहों को जोर से डांट लगाई और कहा कि चुप रहो, तुम सब मूर्ख हाे। उसके बाद अनुभवी चूहे ने जो कहा, वह सुनकर सभी का मुंह उतर गया। चूहे ने कहा कि वो सब तो ठीक है, लेकिन जब तक बिल्ली के गले में घंटी नहीं बंध जाती, तब तक हम सुरक्षित नहीं हैं। अब तुम सब पहले ये बताओ कि आखिर बिल्ली के गले में घंटी बांधेगा कौन? सभी चूहे एक दूसरे की तरफ देखने लगे। सभा में सन्नाटा छा गया था। सभी चूहे निराश हो गए। इसी बीच बिल्ले के आने की आहट पाते ही सभी चूहे भागकर अपने-अपने बिल में जाकर छिप गए।

कहानी से सीख : 

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सिर्फ योजना बना लेने भर से ही आप कामयाब नहीं हो जाते। उस योजना को लागू करने के बारे में भी सोचना चाहिए। उससे पहले जश्न मनाना बेकार है।

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