Chhattisgarh ke Pramukh Pakwaan/ Mithaiyan | Paramparik Vyanjans| Main Traditional Dishes of Chhattisgarh | छत्तीसगढ़ के प्रमुख पकवान / मिठाइयाँ / प्रमुख डीसेस / रेसिपी

Chhattisgarh ke Pramukh Pakwaan/ Mithaiyan | Paramparik Vyanjans| Main Traditional Dishes of Chhattisgarh | छत्तीसगढ़ के प्रमुख पकवान / मिठाइयाँ / प्र

Chhattisgarh ke Pramukh Pakwaan/ Mithaiyan |  Paramparik Vyanjans| Main Traditional Dishes of Chhattisgarh :

छत्तीसगढ़ के प्रमुख पकवान / मिठाइयाँ / प्रमुख डीसेस / रेसिपी : 

दोस्तों ! आप सभी का इस पोस्ट में स्वागत है आज के इस पोस्ट में हम जानेगे की "Chhattisgarh ke Pramukh Pakwaan/ Mithaiyan |  Paramparik Vyanjans| Main Traditional Dishes of Chhattisgarh | छत्तीसगढ़ के प्रमुख पकवान / मिठाइयाँ / प्रमुख डीसेस / रेसिपी "  पूरी जानकारी हिंदी में " 

दोस्तों ! हर राज्य, हर देश या हर घर की अपनी अपनी कुछ ख़ास मिठाइयाँ रेसिपी , या पकवान होती है जो की किसी भी विशेष मौके पर तैयार किया जाता है , जैसे किसी भी त्यौहार , किसी भी कार्यक्रम , या किसी भी भी परम्परा विशेष में, इस प्रकार इन सभी मौकों में खाने के साथ विभिन्न प्रकार के पकवान भी विभिन्न प्रकार के रेसिपी द्वारा तैयार किया जाता है | 

आज के इस पोस्ट में हम इन्ही सभी पकवानों के बारे में बात करेंगे जिनको छत्तीसगढ़ में अधिकतर उपयोग किया जाता है या पकाया जाता है ! ज्यादातर किसी भी देस में हो या या राज्य में अधिकतर सभी जगहों पर घर में पकवान या व्यंजन बनाने का कार्य महिलाओं द्वारा किया जाता है , जबकि होटलों में पुरुषों द्वारा ये व्यंजन या पकवान तैयार किया जाता है | 

छत्तीसगढ़ के प्रमुख पकवान / या व्यंजन निम्न लिखित है - 
1 . ठेठरी ,
2. चिला ,
3. सोहारी 
4. अंगाकर रोटी,
5. गुलगुला भजिया / भजिया 
6. करी 
7. आइरसा
8. पपची
9. बरा 
10. तस्माई 
11 . खुर्मी 
12. चौसेला 
13. मुठिया 
14. देहरौरी 
15. चांवल चिला  

इत्यादि सभी पकवान छत्तीसगढ़ के प्रमुख पकवान है , जिन्हें खासकर विशेष मौकों या आयोजनों में छत्तीसगढ़ में पकाया जाता  है या बनाया जाता है | आइये दोस्तों अब इन सभी रेसिपी या पकवानों या मिठाइयों के बारे में विस्तार से जानते है | 

१. ठेठरी रोटी : 

छत्तीसगढ़ के प्रमुख पकवानों में ठेठरी रोटी प्रमुख पकवान है | इस रोटी को छत्तीसगढ़िया लोग बड़े चाव से  खाते है | फाल्गुन तिहार में इस रोटी को होली के त्यौहार में पकाया जाता है | 

# बनाने या खाने का विशेष त्यौहार / या मौका : 

फाल्गुन महिना में , होली के त्यौहार के अवसर में | 

# इस रोटी को बनाने की प्रक्रिया :

1. आवश्यक सामग्री :  

बेशन का आटा , तेल, नमक , जीरा , अजवाइन खाने का सोडा इत्यादि 

2 . बनाने की प्रक्रिया निम्न लिखित है - 

      इस रोटी को बनाने की प्रक्रिया निम्न लिखित है -

  i. सबसे पहले बेशन के आटा में पानी और नमक जीरा और अजवाइन को डालकर अछ्छी तरह आते को गुथ ले |

ii. अब गुथे गए आटा से छोटे छोटे लोइया बना ले | ये लोइया इतनी ही बड़ी होनी चाहिए की इनसे आसानी से रस्सी की तरह लम्बा फैलाया जा सके | 
iii. अब इस आटे के लोइयो को रस्सी जैसे फैलाइये . और उन्हें गोल गोल मोदी बिच से . लगभग चार से पांच राउंड गोल गोल मोड़िये |
iv. रोटी गोल गोल मोड़ने के बाद रोटी को कडाही में तेल डालकर पका लीजिए | जब ये रोटी सुनहरी भूरी या लाल हो जाए तो इन्हें कादाही से बहार निकल लीजिए |
v . लीजिए अब आपकी रोटी तैयार हो चुकी है | अब आप इन्हें चटनी या सब्जियों के साथ टेस्ट कर सकते है या खा सकते है | 

इस प्रकार छत्तीसगढ़ में ठेठरी रोटी / या ठेठरी पकवान तैयार किया जाता है | जिसे छत्तीसगढ़ के लोग बड़े चाव से खाते है |

2. सामान्य चिला / चांवल का चिला   : 

छत्तीसगढ़ के प्रमुख प्रमुख दैनिक उपयोगी पकवानों में चिला रोटी भी प्रमुख पकवान है | इस चिला रोटी को छत्तीसगढ़ि के गाँव के गरीब और आमिर लोग बड़े चाव से  खाते है | छत्तीसगढ़ के लगभग हर घर में चांवल के आता से बने हुई इस चिला रोटी को पकाया और खाया जाता है | चिला रोटी को किसी भी दिन या प्रत्येक दिन, किसी भी वक्त या सबेरे या शाम को , नास्ते के लिए खाया जाता है , इस रोटी को खाने या पकाने के लिए कोई विशेष पर्व या त्यौहार नही है | 

# बनाने या खाने का विशेष त्यौहार / या मौका : 

 किसी भी दिन या प्रत्येक दिन, किसी भी वक्त या सबेरे या शाम को , नास्ते के लिए खाया जाता है | , इस रोटी को खाने या पकाने के लिए कोई विशेष पर्व या त्यौहार नही है | 

# इस रोटी को बनाने की प्रक्रिया :

1. आवश्यक सामग्री :  

चांवल का आटा , तेल, नमक , धनियाँ पट्टी इत्यादि 

2 . बनाने की प्रक्रिया निम्न लिखित है - 

      इस रोटी को बनाने की प्रक्रिया निम्न लिखित है -

  i. सबसे पहले चांवल के आटा में पानी और नमक व धनियाँ  की पत्तियों को डालकर अछ्छी तरह पानी में आते को घोल ले, की यह आटा का पेस्ट बन जाए |

ii. अब चूल्हे में तावा को रखकर या चूल्हे या गैस में कडाही को रखकर कडाही को गर्म किया जाता है |   
iii.  कडाही गर्म हो जाने पर कडाही या तवे में 1 एक चम्मच तेल डाल दिया जाता है , जिसे पुरे बर्तन / कडाही या तवे की तली में फैला दिया जाता है |
iv.  तवे या कडाही की तली में तेल फैला देने के बाद इसमें एक कटोरी आटें का पेस्ट डाला जाता है | आते का पेस्ट डालने के बाद तवे या कडाही को धक किया जाता है |  
.  कडाही को पेस्ट डालने के 5 मिनट तक गर्म किया जाता है उसके बाद रोटी को पलट कर भी 2 मिनट पकाया जाता है | 

इस प्रकार लगभग 5 मिनट में चांवल का चिला रोटी तैयार हो जाता है | ये रोटी सबसे कम सामय में जल्दी तैयार हो जाता है | इस रोटी को चटनी या सब्जी के साथ खाया जाता है | 

3. सोहारी या पूरी रोटी    : 

छत्तीसगढ़ के प्रमुख प्रमुख दैनिक उपयोगी विशेष त्यौहारों के मौकों में सोहारी रोटी या पूरी रोटी को भी पकाया जाता है | इस रोटी को रोटी बनाने में उपयोग किये गए आते के आधार पर सोहारी या पूरी रोटी का संज्ञा दिया जाता है अर्थात नाम से बुलाया जाता है | 

# सोहारी और पूरी रोटी में अंतर / Diffrence between Sohari & Puri Rotiyan : 

रोटी बनाने के लिए , जब आटे के रूप में गेहू के आटे का उपयोग किया जाता है तो बन्ने वाला रोटी पूरी रोटी कहलाता है और यदी रोटी बनाने के लिए चांवल के आते का उपयोग किया जाता है तो बनाने वाला रोटी सोहारी रोटी कहलाता है | 

# बनाने या खाने का विशेष त्यौहार / या मौका : 

विशेष त्यौहारों में एवं होटलों एवं प्रत्येक घरों में नास्ते के लिए कभी भी  इस रोटी को खाया या पकाया जाता है | 

# इस रोटी को बनाने की प्रक्रिया :

1. आवश्यक सामग्री :  

चांवल या गेहूं का आटा , तेल, नमक/ शक्कर इत्यादि 

2 . बनाने की प्रक्रिया निम्न लिखित है - 

      इस रोटी को बनाने की प्रक्रिया निम्न लिखित है -

  i. सबसे पहले चांवल या गेहूं के आटा में पानी और नमक / या शक्कर को डालकर अछ्छी तरह पानी में आते को भिंगाकर गुथ लिया जाता है |
ii.  आटा गुथा जाने पर आते से छोटे छोटे लोइयां बनाकर उनहे बेलना के सहायता से किसी बर्तन में रखकर बेला जाता है जिनसे इनका आकर गोल एवं चपटा हो जाता है . इस प्रकार सभी आते के लोइयों को इस प्रकार बेल लिया जाता है . 
iii. अब चूल्हे में कडाही को रखकर कडाही को गर्म किया जाता है |   कडाही गर्म हो जाने  पर कडाही में तेल डाल दिया जाता है |
iv.   तेल के गर्म हो जाने पर कडाही के तेल में सभी आटे के बेली गई रोटियों को डाला जाता है | और उन्हें धीमी आंच पर पकाया जाता है | रोटी को पलट पलट कर सेका जाता है |
.   कडाही पर रोटी को सेकने के लिए लग्भग 2 से 5 मिनट ka समय लगता है | और हमारा रोटी बनकर तैयार हो जाता है | 

इस प्रकार लगभग 2 से 5 मिनट में चांवल का सोहारी रोटी या गेहू आते का पूरी रोटी बन कर तैयार हो जाता है | ये रोटी सबसे कम सामय में जल्दी तैयार हो जाता है | इस रोटी को चटनी या सब्जी के साथ खाया जाता है | 

4. अंगाकर रोटी     : 

छत्तीसगढ़ के प्रमुख प्रमुख दैनिक खाने की रोटियों में अंगाकर रोटी को खाया और पकाया जाता है |  अंगाकर रोटी को निर्माण करने या बनाने के लिए रात के बचे हुए खाने / चांवल का उपयोग किया जाता है | इस कारन इस रोटी को पकाने में उस चांवल का इस्तेमाल किये जाने से चांवल का नुकशान नहीं होता है | आर्थात उस बचे हुए चांवल का दुबारा खाने में उपयोग हो जाता है | इस रोटी को गाँव के लोग बड़े चाव के साथ खाते है | ज्यादातर अंगाकर रोटी का उपयोग सुबह के वक्त नास्ते में किया जाता है |

# बनाने या खाने का विशेष त्यौहार / या मौका : 

अंगाकर रोटी को कभी भी बनाया और खाया जा सकता है | इसके लिए किसी विशेस दिन या त्यौहार का इन्तेजार नहीं किया जाता है | 

# इस रोटी को बनाने की प्रक्रिया :

1. आवश्यक सामग्री :  

चांवल का आटा , नमक, रात का बचा हुआ भोजन |

2 . बनाने की प्रक्रिया निम्न लिखित है - 

      इस रोटी को बनाने की प्रक्रिया निम्न लिखित है -

  i. सबसे पहले चांवल आटा और रात का बचा हुआ चांवल को डालकर नमक और पानी के साथ आटा और चांवल को एकसाथ गुथ लिया जाता है |
ii.  आटा गुथा जाने पर  बड़े बड़े लोइयां बनाकर उनहे कपडे पर रखकर हाथों से दबाया जाता है ताकि ये बड़े बड़े लोइयों को चपता किया जा सके जिससे वे फ़ैल जाएँ |  
iii. अब चूल्हे में तवा को रखकर  गर्म किया जाता है |   तवा गर्म हो जाने  पर तवा में पपीता या बर या पीपल के पत्तों को डाल दिया जाता है और उन पत्तों के ऊपर आटों से तैयार किये गए कच्ची रोटी को डाल दिया जाता है | 
iv.   अब उन रोटियों के ऊपर भी पुनः पत्तों को डालकर रोटी को धक दिया जाता है |  और उन्हें अधिक आंच पर पकाया जाता है | रोटी के ऊपर पत्तों के ऊपर भी अग्नि को रखकर सका जाता है इसके लिए लकड़ी के कोयले या कंडों को रोटी के ऊपर भी रख दिया जाता है | इसके बाद रोटी को पलट पलट कर सेका जाता है |
.   रोटी अच्छी तरह सेंका जाने पर उनसे पत्ते को साफ कर लिए जाते है | 

इस प्रकार लगभग 30  मिनट में चांवल और चांवल के आटे से बनी हुई अंगाकर रोटी बन कर तैयार हो जाता है | ये रोटी को पकाने में थोडा अधिक समय लगता है | इस रोटी का स्वाद बहुत अच्छा रहता है | इस रोटी को चटनी या सब्जी के साथ बड़े चाव से खाया जाता है | 

5. गुलगुला भजिया / भजिया : 

छत्तीसगढ़ के प्रमुख त्यौहारों में गुलगुला भजिया को खाया और पकाया जाता है |  गुलगुला भजिया का निर्माण करने या बनाने के लिए  गेहू के आटे का उपयोग किया जाता है |  इस रोटी को गाँव के लोग बड़े चाव के साथ खाते है | ज्यादातर गुलगुला भजिया का उपयोग त्यौहारों में खाने के साथ किया जाता है | गुलगुला भजिया को मीठा या नमकीन दो तरह से पकाया जा सकता है | गुलगुला भजिया को मीठा स्वाद के लिए गुड या शक्कर का उपयोग किया जाता है , जबकि नमकीन स्वाद के लिए नमक का उपयोग किया जाता है |

# बनाने या खाने का विशेष त्यौहार / या मौका : 

गुलगुला भजिया को कभी भी बनाया और खाया जा सकता है | लेकिन इसको त्यौहारों में अक्सर पकाया और खाया जाता है | 

# इस रोटी को बनाने की प्रक्रिया :

1. आवश्यक सामग्री :  

गेहूं का आटा , नमक या शक्कर, तेल इत्यादि |

2 . बनाने की प्रक्रिया निम्न लिखित है - 

      इस रोटी को बनाने की प्रक्रिया निम्न लिखित है -

  i. सबसे पहले गेहू आटा और नमक या सक्कर को पानी डालकर घोल लिया जाता है | 
ii.   आटे का घोल इस प्रकार बनाया जाता है की ये एक पेस्ट बन जाए और आसानी से इनका आकर गोल रहे | 
iii. अब चूल्हे में कडाही को रखकर  गर्म किया जाता है |   कडाही  गर्म हो जाने  पर उसमे आटों को हाथ से पकड़कर गोलाकार बनाते हुए तेल के ऊपर कडाही में डाल दिया जाता है |  
iv.   इसके बाद रोटी को पलट पलट कर सेका जाता है |
.   रोटी अच्छी तरह सेंका जाने पर  उन्हें कडाही से निकाल लिए जाते है |  

इस प्रकार लगभग 10  मिनट में  गेहूं के आटे से बनी हुई गुलगुला भजिया बन कर तैयार हो जाता है | ये रोटी को पकाने में थोडा कम समय लगता है | इस रोटी का स्वाद बहुत अच्छा रहता है | इस रोटी को चटनी या सब्जी के साथ बड़े चाव से खाया जाता है | 

इस पोस्ट में आपने जाना : 

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