बिल्कुल यही सवाल कर्ण ने श्री कृष्ण से पूछा था कि महाभारत के से पूछा था कि महाभारत के इस भीषण युद्ध के लिए कौन कौन जिम्मेदार है ...
बिल्कुल यही सवाल कर्ण ने श्री कृष्ण से पूछा था कि महाभारत के से पूछा था कि महाभारत के इस भीषण युद्ध के लिए कौन कौन जिम्मेदार है
वैसे लोग यह कहते हैं कि श्रीकृष्ण की वजह से युद्ध हुआ लेकिन वास्तव में युद्ध श्री कृष्ण की वजह से नहीं हुआ था श्री कृष्ण ने केवल अपना एक दायित्व निभाया था पांडवों का रिश्तेदार होने के नाते यदि पांडवों के पास श्री कृष्ण थे तो कौरवों के पास शकुनी थे जिन्होंने समान तरह से से समान कुटिल चालें चली, लेकिन यह इस प्रश्न का विषय नहीं है
तो हम लिखते हैं कि वह कौन से लोग थे जिनकी वजह से महाभारत का युद्ध हुआ पहला इंसान था
पांडू:
पांडू एक क्षत्रिय राजा थे उनके हाथ से एक बार किसी की अनजाने में हत्या हो गई थी, इस हत्या के प्रायश्चित करने के लिए पांडू ने अपना राज अपना सिंहासन सब त्याग दिया था और वन में जाकर तपस्या करने लगे थे कुल मिलाकर कहें तो एक सन्यासी हो गए थे पांडू की अनुपस्थिति में राज्य को धृतराष्ट्र ने चलाया क्योंकि उस समय कोई भी पांडव इतना बड़ा और योग्य नहीं था कि वह राज्य का राजा बन सके, यह महाभारत होने के लिए पहला गलती थी
यदि पांडू पश्चाताप करने के लिए सन्यासी ना बनते और किसी प्रकार राज्य करते हुए ही अपना पश्चाताप कर लेते तो उनका राज्य धृतराष्ट्र जैसे जैसे अयोग्य और छली मनुष्य के पास ना जाता और ना ही कोई विवाद खड़ा होता और इस प्रकार महाभारत का युद्ध होता ही नहीं.धृतराष्ट्र से यह आशा की गई थी कि वह पांडवों के बड़े होते ही उन्हें उनका राज्य सौंप देगा लेकिन धृतराष्ट्र ने यह छल किया और पांडवों को राज्य नहीं सौंपा और यह कारण अंतत: महा युद्ध का कारण बना.
महाभारत जिसकी वजह से हुआ वह दूसरा इंसान था
भीष्म पितामह:
जिस समय पांचाली का वस्त्र हरण किया जा रहा था उस समय भीष्म पितामह उस सभा में मौजूद थे भीष्म पितामह कुछ नहीं बोले क्योंकि पांचाली को कौरवों जुए में जीत लिया था अगर भीष्म पितामह जुए के खेल के निर्णय को ना मानकर संस्कार और मर्यादा और धर्म का पालन करते तो कभी भी पांचाली का वस्त्रहरण जैसा घिनौना कृत्य नहीं हो पाता, जिस प्रकार पांचाली का भरी सभा में अपमान किया गया था उसी वजह से पांडवों के मन में कौरवों से प्रतिशोध लेने की ज्वाला जन्मी थी उसी सभागार में पांडवों ने यह घोषणा की थी कि वे एक-एक कौरवों को गौरव को को समाप्त कर देंगे l
यदि भीष्म पितामह हस्तक्षेप करते हैं और कौरवों से पांचाली का अपमान ना होने देते तो निश्चित रूप से कौरव कभी भी इतना न गिरते कि पांडवों को बदला लेने के लिए महाभारत युद्ध के लिए प्रेरित होना पड़ता.
महाभारत युद्ध होने का तीसरा और सबसे बड़ा कारण था
कर्ण :
पूरा का पूरा महाभारत ही कर्ण के ऊपर लड़ा गया था पांडवों के पास युधिष्ठिर जैसा जैसा सेनानायक था जो योजना में महारथी था भीम जैसा बाहुबली था जिसके सामने हजार हाथियों का बल 0 था अर्जुन जैसा महान धनुर्धर था इन तीनों के होते हुए भी श्री कृष्ण पांडवों के साथ थे जो एक महान कूटनीतिज्ञ और एक बहुत बड़े दूरदर्शी थे
यह सब होते हुए भी यदि कौरवों में इतना साहस हो पाया कि वह पांडवों से युद्ध कर सके तो इसका एकमात्र कारण यह था कि कौरवों के साथ कर्ण था यदि कर्ण की शक्ति कौरवों के पास ना होती है तो इस युद्ध में गौरव कभी भी पांडवों का सामना करने का साहस ना कर पाते यदि कर्ण अपने अपमान को भूल जाते और या तो युद्ध में भाग ही न लेते अथवा पांडवों के साथ आ जाते हैं तो कौरव बिना युद्ध लड़े ही पांडवों को उनकी हिस्से का राज्य दे देते और कभी भी महाभारत जैसे युद्ध ना होता.
यह वह तीन प्रमुख लोग थे जिन्होंने महाभारत की युद्ध में बड़ी भूमिका निभाई l
स्रोत: महाभारत
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